भिलाई: घर से चार नाबालिग सहेलियां प्लान बनाकर रायपुर महादेव घाट से घूमने निकल गईं। वहां से लौटने में देरी हो गई। घर में डांट पड़ने की डर से चारों एक्सप्रेस ट्रेन पर सवार हो कर मुबई निकल गई। दुर्ग पुलिस ने जीआरपी पुलिस की मदद से उन्हें नागपुर से रिकवर किया गया।

पुलिस ने फोटो भेजकर जीआरपी की मदद ली

बच्चियों के घर वालों ने मामले की जानकारी सुपेला पुलिस को दी। भिलाई नगर सीएसपी सत्य प्रकाश तिवारी ने तत्काल एसएसपी विजय अग्रवाल को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बच्चियों को सकुशल खोजने के निर्देश दिए। सीएसपी ने सुपेला टीआई विजय यादव को टीम के साथ नागपुर के लिए रवाना किया। इधर लड़कियों के फुटेज को नागपुर स्टेशन जीआरपी को शेयर किया। नागपुर जीआरपी ने पूरे स्टेशन में खोजबीन शुरू की। वहां चारों बच्चियों को हिरासत में ले लिया गया।

लेट होने पर मम्मी-पापा ने मारा था

पुलिस ने बताया कि तीन सहेलियां शांति नगर स्कूल सुपेला में पढ़ती हैं और साथ ही एक कपड़े की शॉप में काम करती हैं। इसी बीच तीनों की दोस्ती हुई। चौथी लड़की तीनों में से एक लड़की की मौसेरी बहन है। चारों की उम्र 14-15 साल है। इन चारों बच्चियों ने घूमने का प्लान किया।

21 जुलाई को दोपहर को चारों महादेव घाट रायपुर घूमने गए। घर में बताया था कि शाम होने से पहले लौट आएंगी। लेकिन वापस आते समय शाम हो गया था। एक बच्ची बोली की एक दिन पहले वह अपने सहेली के बर्थडे पर गई थी तो लेट होने से उसके मम्मी-पापा ने उसे मारा था। उसने घर जाने से मना किया। यह भी कहा चलो कहीं भाग चलते हैं, वरना घर वाले पिटाई करेंगे। फिर चारों सहेली एक मत होकर दुर्ग स्टेशन पर उतर गईं।

नागपुर से मुंबई की ट्रेन पकड़ने वाली थीं

एक बच्ची सभी अपने मौसी के घर ले गई। वहां से गैस चूल्हा बेचा और 300 रुपए लेकर मौसी के साथ वापस स्टेशन पहुंचे। रात 9 बजे एक्सप्रेस ट्रेन में सवार होकर रात 1 बजे नागपुर स्टेशन पहुंचे। वहां से सुबह 7 बजे मुंबई की ट्रेन में बैठ कर निकलने की तैयारी कर रही थी।

सुपेला पुलिस ने बताया कि फोटो के आधार पर जीआरपी पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। चारों को शासकीय बालिका गृह काटोल रोड नागपुर में सुरक्षित रखा। जब दुर्ग पुलिस उनके पैरेट्स के साथ पहुंची तब उन्हें सुपुर्द कर दिया। दुर्ग पुलिस ने चारों बच्चियों को सकुशल घर लाया और परिजनों को सौप दिया। एक बच्ची की मौसी भी बच्चियों के साथ लौटी। वह क्यों जा रही थी यह साफ नहीं हुआ है।

पारिवारिक परिवेश में बच्चों के साथ मित्र बनकर हैंडल करें

बच्चों पर पैरेंट्स का ज्यादा अनुशासन रहता है। टीनएजर में दबाब नहीं बना सकते और न ही पिटाई कर और दबाव बनाकर कंट्रोल कर सकते हैं। इन्हें सामाजिक, पारिवारिक, नैतिक और संस्कारिक मूल्यों के आधार पर बच्चों की मन: स्थिति को समझना है। तभी उन में परिवर्तन होगा। इस उम्र में बच्चे परिवार से हट कर दोस्तों के बीच ज्यादा स्वतंत्र महसूस करते हैं। उन्हीं से अपने विचार को व्यक्त करते हैं।

दोस्तों की उम्र भी उनके ही अनुरूप होती है। इस लिए उनकी बात भी उन्हें समझ में जल्दी आ जाती है। वे परिणाम पर नहीं सोच पाते हैं। इनमें एक्सप्लोर करने की चाहत होती है। नई चीजों की जानने और टेस्ट करने की उत्सुकता होती है। पारिवारिक परिवेश में बच्चों के साथ मित्र बनकर हैंडल करें। इसका परिणाम यह होगा कि बच्चा कोई गलत कदम उठा रहा है तो उसे अपने पैरेट्स की बात जरुर याद आएगी। कोई भी कदम उठाने से पहले वह उनसे जरुर शेयर करेगा। - डॉ. प्रमोद गुप्ता मनोरोग विशेषज्ञ