मोदी का इतिहास पर वार: कश्मीर पर हमले की जड़ में नेहरू का फैसला
अहमदाबाद: गुजरात दौरे पर गए प्रधानमंत्री मोदी ने आज बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर 1947 में देश के विभाजन के बाद प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल की सलाह मान ली गई होती तो पहलगाम हमला कभी नहीं हो पाता।
पीएम ने कहा कि अगर पटेल साहब की बात मानी होती तो भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां रुक गई होतीं।
सरदार पटेल की सलाह नजरअंदाज की गई
गांधीनगर में एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने दावा किया कि पाकिस्तान की ओर से कश्मीर पर कब्जा करने के लिए आक्रमण करने वाले मुजाहिद्दीन लड़ाकों से निपटने के बारे में पटेल की सलाह को कथित तौर पर नजरअंदाज कर दिया गया।
ये कोई 'प्रॉक्सी वॉर' नहींः मोदी
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को जब यह एहसास हो गया कि वह सीधे तौर पर भारत को युद्ध में नहीं हरा सकता तो उसने सीमापार आतंकवाद के रूप में भारत के खिलाफ 'प्रॉक्सी वॉर' शुरू कर दिया।
पीएम ने कहा कि जब पाकिस्तान के साथ युद्ध की जरूरत पड़ी, तो भारत की सैन्य शक्ति ने तीनों बार पाकिस्तान को हराया। पाकिस्तान को समझ में आ गया था कि वह युद्ध में भारत को नहीं हरा सकता।
उसने भारत के खिलाफ छद्म युद्ध शुरू कर दिया। उन्हें जहां भी मौका मिला, वे हमला करते रहे और हम इसे बर्दाश्त करते रहे।
ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि भारत बहादुरों की भूमि है और उन्होंने जोर देकर कहा कि 6 मई के बाद आतंकवादी हमलों को अब छद्म युद्ध नहीं कहा जा सकता।
ये पाकिस्तान की सोची-समझी युद्ध की रणनीति
पीएम ने कहा कि 6 मई की रात जो लोग पाक में मारे गए, पाकिस्तान में उन जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया। उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया।
ये सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है, ये पाकिस्तान की सोची-समझी युद्ध की रणनीति है, आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा।